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लफ्ज



जल्दी में,जबरन उढेलते हो
खोखले 'लफ्ज़'
और लौट आते हो।

भीतर नीहित है जो
उससे अछूते हो,
नींद में बुदबुदाते हो
चुकाते हो लफ्ज़।

'खामोशी' भी लफ्ज़ है
लेकिन मौन है
दैखती है
सुनती है
बूझती है
और लौट आती है
गर्भ में लिए - सृजनात्मक लफ्ज़।

~पल्लवी

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